(Affiliated by - Jagadguru Ramanandacharya Rajasthan Sanskrit University, Jaipur )
Govt. Maharana Acharya Sanskrit College, Outside Chandpol, Udaipur (Raj.), 313001
परिचय
राजस्थान के मेवाड़़ क्षेत्र का इतिहास विश्व प्रसिद्ध है। मेवाड़़ भूमि ने न केवल महान शूरवीर, मातृभूमि के रक्षकों को जन्म दिया है, अपितु यह भूमि त्यागी, तपस्वी, समाजसेवक, संस्कृत एवं संस्कृति रक्षक एवं पोषक मनस्वी रत्नों के लिए भी प्रख्यात है। अरावली पर्वतमालाओें के मध्य मेवाड़ केसरी महाराणा प्रताप की पुण्य भूमि सुरम्य प्रकृति के विलास के केन्द्र बिन्दु उदयपुर नगर में पिछोला सरोवर के पश्चिमी तटपर स्थित शभ्भूगढ के नाम से प्राचीन भवन में यह संस्था संस्कृत व सस्ंकृति की सेवा में अनवरत संचालित है। स्थापना -मेवाड़ के महाराणाओंं की संस्कृत भाषा के माध्यम से सांस्कृतिक सुधा प्रवाहित करने की प्रवृति स्वाभाविक रूप से रही है। विक्रम संवत 1922 तदनुसार सन 1865 में उदयपुर के तत्कालीन मेवाड़ नरेश महाराणा श्री शभ्भूसिंह जी ने संस्कृत के प्रसिद्ध विद्वान पं0 श्री रत्नेश्वराचार्य जी की प्रेरणा से शंभुरत्न पाठशाला के नाम से इस संस्था की स्थापना की। स्वतन्त्रता पश्चात यही संस्था राजस्थान शासन के अधीन होने पर राजकीय महाराणा आचार्य संस्कृत महाविधालय के नाम से प्रसिद्ध है। भूमि एवं भवन -वर्तमान में यह महाविधालय श्री भीमपरमेश्वर महादेव शभ्भूगढ में चल रहा है। यह भवन देवस्थान विभाग के अधीन है इस भवन का किराया देवस्थान को दिया जा रहा है । इस महाविद्यालय एवं छात्रावास की सहायतार्थ तत्कालीन प्रधान अमात्य (मंत्री) श्री धर्मनारायण जी शर्मा द्वारा आयड ग्राम के पास 22.4 बीघा भूमि प्रदान की गर्इ थी । पूर्व में इसकी आय छात्रावास की व्यवस्था में व्यय होती थी। किन्तु इस जमीन को सन 1967 से विश्वविद्यालय उदयपुर को 2000 रूपये वार्षिक लीज पर दी गर्इ, किन्तु उक्त विश्वविद्यालय द्वारा किसी प्रकार की लीज राशि नहीं दी जा रही है तथा राज्य सरकार के आदेशों के बावजूदउक्त भूमि का कब्जा इस संस्था को नहीं दिया जा रहा है। यह भूमि वर्तमान में कृषि विश्वविद्यालय के अधीन ही है । अध्ययन - अध्यापन-सन 1865 से यहां वेद, व्याकरण, साहित्य, दर्शन, ज्योतिष, धर्मशास्त्र एवं कर्मकाण्ड विषयों का व्यवस्थित अध्ययन अध्यापन प्रारंभ है। प्रारंभ में स्थानीय स्तर पर परीक्षाएँ प्रारभ्भ हुई और कुछ समय पश्चात पंजाब विश्वविद्यालय से इस महाविद्यालय का सम्बन्धन हुआ। सन 1906 से इस संस्था की परिक्षाएँ राजकीय संस्कृत कालेज बनारस से संचालित हुई| स्वतंत्रता पश्चात राजस्थान राज्य मे स्थापित राजस्थान विश्वविद्यालय के सघटक महाविधालय के रूप में स्थापित हुआ। वर्तमान में इस महाविधालय की परीक्षाएँ जगदगुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय,जयपुर द्वारा आयोजित होती है। इस महाविधालय में अध्ययरत अधिकांश छात्र छात्राएँ टी0 एस0 पी0 (आदिवासी) क्षेत्र से है। वर्तमान सत्र में प्रवेशित 322 छात्र छात्राओं मेंं से 245 छात्र छात्राएँ अनुसूचित जनजाति की है इनमें से भी 88 छात्राएँ अनुसूचित जनजाति की अध्ययनरत हैं। |